सावन मा धरती महरानी
सजि धजि छम छम बाजत हीं
राति गगन जब उवै अंजोरिया
दुलहिन जयिसै लागत हीं
कुलि वरि घनी हरियरी छायी
नदिया घरुही तक चढि आयी
नाचै ठुमुक ठुमुक खुब मोरवा
लहरा लयि आवै पुरुवाई
ललगुझवा खुब मीठ चिरइया
निधरक भयि खुब चाभत ही
राति गगन जब…………
फुलवन से महकै फुलुवारी
घर अंगना का बगिया बारी
कोहड़ा लउंकी सेम तरोई
ताकि रहे बिरवा तरकारी
जेठ पियासी गांवक् तलइया
आज मेढउरी नाघत ही
राति गगन जब………….
मेघा टर्रैं झींगुर गावैं
जुगनू जग जग रंग जमावै
बिसधर बीछी गोजर मिलिकै
रोजै सबकै जिव डेरुवावैं
अवधी कै खुब मगन कलमिया
गजब निसाना साधत ही
राति गगन जब उवै अंजोरिया
दुलहिन जयिसै लागत हीं !!
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