बलिदान वीर सपूतों का…..
इतिहास में अमर है
वो आज भी अमर है
वो आज भी जिंदा है
वो आत्म स्वाभिमान
जिसने झुकना कभी न जाना
मरते दम तक अंत तक
जिसने हार न माना
परिणाम चाहे जो भी
मगर आज भी दिलो पर जिंदा है
वो आज भी अमर है
वो आज भी जिंदा है।
बलिदान वीर सपूतों का ……
अकबर नसे में चूर था
खुद पे बहुत मगरुर था
राणा की तलवारों पर भी
अपना बहुत गुरूर था ।
युद्ध छिड़ा हल्दीघाटी में
राणा ने हार न मानी
अंतिमक्षण तक
राणा के तलवारों पर थी भवानी
बहुत क्रूरता से अकबर ने
जीत लिया मेवाड़ को
पर थी एक शिकायत उसे
वो जीत न पाया मेवाड़ी आन को
जिसने हस्ते हस्ते कटकर ,
मातृभूमि का मूल्य चुकाया
बूंद– बूंद मेवाड़ी खून में
थी प्रतिशोध की छाया ।
वैसा ही अभिमान आज भी
सांसों में जिंदा है
वो आज भी अमर है
वो आज भी जिंदा है।
बलिदान वीर सपूतों का…..
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