मुझे अपने दिलों में तुम बसा लेते तो अच्छा था
मेरा बिखरा हुआ जीवन सजा देते तो अच्छा था
सदा ही दिल में रहता मैं तुम्हारी धड़कने बन कर
दिलों से दिल की धड़कन को मिला लेते तो अच्छा था
कमी ना कुछ कभी रहती अगर तुम पास में होते
दिलों में छाया सूनापन भगा देते तो अच्छा था
तेरे हर एक लफ्जों में मधुर संगीत जो फूटे
छेड़कर राग नगमे को सुना देते तो अच्छा था
उलझ कर व्यर्थ की बातों मैं दिल को तोड़ते क्यों हो
दिलो से दिल का समझौता करा देते तो अच्छा था
मेरे दिल को सदा ही दिल से अपने जोड़ कर रख लो
कभी ना टूटे जो रिश्ता निभा लेते तो अच्छा था
मैं सारा ही जमाना छोड़ देता प्यार में तेरे
भुलाकर रंजो गम अपना बना लेते तो अच्छा था
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