तमसो मा ज्योतिर्गमयः
तमसो मा ज्योतिर्गमय
तम से प्रकाश की और
ले जाने की
अभ्यर्थना ।
प्रकाश
नैराश्य के विरुद्ध
प्रबल उत्साह का संघोष है ।
मन का संकेत
अंधकार अधिक उत्तम माने है
और आत्मा का संकेत
प्रकाश ही उत्तम कहता है ।
अनिष्ठाओं का कोई मोल नहीं ।
आस्थाओं का ही वैभव है
कि मेरी संजोई प्रार्थना
तेरे काम बना देती है और
तेरी रखी अर्चना
मेरे काम बना देती है
प्रकाश धारणा है धर्म की ।
धर्म आत्मा है जगत की ।
जहाँ प्रकाश है
वहां ज्ञान है,
ऐश्वर्य है,प्रभुता है ।
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