हर वक्त तेरा ख़्याल है
न ही हिज्र है ना बिसाल है ना उदासियों का उबाल है
न ही जुस्तजू न ही आरज़ू,
हर वक्त तेरा ख़्याल है
तेरी याद में ही गुज़र गया वो सफ़र अभी भी है मुस्तकिल
जो गुज़र गया मेरी रूह से, तू वो एक पूरा सवाल है
मेरी करवटें मेरा ख्वाब है, मेरी जिंदगी का जवाज़ है
जो बिखर गई है चार सू , तू वो चाँदनी वो जमाल है
न ही तिश्नगी न ही बेबसी, न खलिश तेरी न ही बेरुखी
ये तो इश्क़ है मेरी ज़ात का मेरी ज़़ात का तू मनाल है
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