चांद निकला गगन में, हंसी चांदनी,
तो मगन हो के धरती क्या हंसने लगी?
माना हंसते हो कुछ पादप लता-
संग बेला, चमेली, रातरानी भले,
इन के जैसे सभी बाग़ में तो नहीं।
इन की झाड़ी खड़ी, युवा जोड़ी सी,
ये हंसे अमावस भी पूनम हो यहां।
जड़ा देख धरती शमशान की,
चांदनी भी यहां, चुपचाप सी,
लग रही है यहां,रो रही हो ज़मीन;
सांस भी संग छोड़ बनगयाअजनबी।
चांद निकला गगन में हंसी चांदनी,
तो मगन हो के धरती क्या हंसने लगी।
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