26/11 की घटना पर एक सोच

तूफानों का जोर लगाकर समय नया लिख जाएंगे

आज हिमालय के माथे पर सूरज नया उगायेंगे

गरजेगा यह सिंधु उफनकर राह नई दिखलाएगा

मातृभूमि के आँचल में ये प्रलय राग भर जाएगा

सौ-सौ युग की ज्वाला लेकर अमर राष्ट्र लिख जाएंगे

हम भारत के सेनानी हैं नया सबेरा लाएंगे

आन मान सम्मान लिए जब भारत माँ मुस्काती हैं

अमर राष्ट्र उन्मुक्त राष्ट्र की भाषा हमको भाती है

लेकिन यह तूफान ज़ुल्म का हम कैसे सह पाएंगे

जब यार मरण का उत्सव होगा अपना सिर दे जाएंगे

यह धरती है विश्व शांति की श्रम के गीत सजाती है

हल की नोक लिए सीने पर मोती यहाँ उगाती है

बनकर इसके लाल तिरंगा हिमगिरी पर फहराएंगे

जब जब देश पुकारे गा हम क़फ़न बाँधकर आएंगे

अब दुनिया को कहना होगा भारत देश निराला है

इसने अपने ही आंचल में गांधी भगत को पाला है

वीर सुभाष की भूमि पर दुश्मन का लहू बहाएंगे

लोकतंत्र की परिभाषा अब हम सबको बतलाएंगे

साँस गिनेंगेआज शत्रु की भीषण वाद विवाद नहीं

हल्दीघाटी याद करेंगे समझौते की बात नहीं

और नहीं अब 26/11 और नहीं सह पाएंगे

सच्ची भाषा जन गण मन की अब हम तो सिखलाएंगे

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रचनाकार

Author

  • डॉ अंजू सिंह परिहार

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