होड़

नये-नये उत्पाद /रंग-बिरंगे

दूरदर्शनी सतरंगे परदे पर विज्ञापन-बाढ़ !

एक को ठेलती दूसरी

लहर तीव्रतर

भारी शोर है

भीषण होड़ है !

एक दाँत चमका रहा है

दूसरा चेहरा

तीसरा ढूँढ रहा है बालों की चमक

चौथा कपड़े की सफेदी

कोई दीवार चमका रहा है

कोई फर्श

कोई बरतन चमकाने में लगा है

चिन्तित है कोई नेतागिरी निखारने में

कोई औजार चमका रहा है/कोई व्यापार

न ओर है न छोर है

बाहरी चमक-दमक पर /ख़ूब ज़ोर है

चित्त चमके ,चरित्र दमके

अब कितना ध्यान

इस ओर है?

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रचनाकार

Author

  • डॉ रवीन्द्र उपाध्याय

    प्राचार्य (से.नि.),हिन्दी विभाग,बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर copyright@डॉ रवीन्द्र उपाध्याय इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है| इन रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है|

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