मैं अपनी दुनिया सौंप दूं तेरे हाथों में।
मिटा तो ना दोगे तुम।।
अगर इजहार कर दूं अपनी मुहब्बत का।
तमाशा बना तो ना दोगे तुम।।
जख्म कई लिए घूमती हूं दिखा दूं।
बताओ कहीं नमक लगा तो ना दोगे तुम।।
मैं बही हूं उन्मुक्त झरने सी।
मेरी आजादी पर पाबंदियां लगा तो ना दोगे तुम।।
दुनिया की सताई हुई अब मैं तेरी बाहों में सोना चाहती हूं।
स्वार्थी बनकर मुझे जगा तो ना दोगे तुम।।
मैने दिया तुम्हें अपना तन मन
बताओ मुझे अब क्या दोगे तुम
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