जो किस्सा अजनबी था

जो किस्सा अजनबी था जिन्दगी का,

आजकल हमसफर है जिन्दगी का।

कोई भी आदमी परिचित नहीं है,

बड़‍ा  तन्हा सफर है  जिन्दगी  का।

जो अक्सर धूप में जलकर चले थे,

आजकल वो हुनर हैं जिन्दगी का।

कहाँ मुश्किल है खुद का सामना भी,

आईना होना भर है जिन्दगी का।

कोई चेहरा बड़ा मुश्किल है पढ़ना,

निगाहों में सफर है जिन्दगी का।

इबादत में झुके जिसके लिये सर,

देवत‍ा होना भर है जिन्दगी का।

शिकायत हो या फिर कोई अदावत,

हौसला करना भर है जिन्दगी का।

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रचनाकार

Author

  • सूर्यप्रकाश गुप्त

    सूर्यप्रकाश गुप्त जन्मतिथि-05-05-1985 माता का नाम- स्व० राजलक्ष्मी गुप्ता पिता का नाम- श्री भगवानदीन गुप्त जन्मस्थान- बडगांव, मछरिया, ब्लाक-बहुआ, जनपद फतेहपुर, उत्तर प्रदेश पत्राचार- 75, रामनगर कालोनी, शाहजहाँपुर, उ.प्र. शिक्षा- एम.ए.,एम.एड.,यूजीसी नेट,पीएचडी शोधछात्र प्रकाशित पुस्तक: शिक्षा के सामाजिक एवं ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य कार्यवृत्त- रचनाकार स्वतन्त्र रूप से विभिन्न सन्दर्भों में कविताएँ, गीत,गज़ल, कहानियाँ, आदि रचनाएँ लिखते रहते हैं जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होती रहती हैं I वर्तमान में रचनाकार केन्द्रीय विद्यालय संगठन (भारत सरकार) के अंतर्गत शिक्षक के रूप में आयुध वस्त्र निर्माणी शाहजहांपुर में कार्यरत हैं.

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