जीवन पुष्पों की पंखुड़ी जैसी नहीं होती,
यंत्रणा देने वाली कांटे, चुभती रहती है।
मृत्यु की सेज में जो जाना भी चाहों,
न जाने क्यों, ज़िंदगी और लंबी होने लग जाती।
इम्तिहान कई अभी और है बाकी,
अभी कई किले फतह करना है।
कांटों के नोख चाहे चुभे,
चाहे जख्म जितने गहरे दें।
अभी उम्मीद ए ज़िंदगी की रोशनी को ओढ़े रहना है।।
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