अंहिसा का पुजारी

अंहिसा का पुजारी

अंहिसा का पुजारी
चला गया हिंसा से तड़फकर
“हे राम” प्रतिध्वनि के साथ
छोड़ गया ….एक गर्मागर्म आज़ादी
एक तनी निडर लाठी
एक नमक के ढ़ेले को पुकारती ..दांडी

अंहिसा से कुलाचें मारता एक हिरण
छोड़ गया एक असहयोग …..हुकूमत को डराने के लिए,
बिखेर गया जाते -जाते सत्य की केसर….भारत के बदन पर,
दे गया सविनय से भरी आज्ञा धमकी …हुकूमत के कानों पर,
हमको दे गया.. चरखे से बनी कपड़े की कहानी ,
दे गया एक पथिक को ….बेखौफ सत्याग्राही सफर
मजदूरों में फूँक गया ..हड़ताल की आत्मा,
भर गया एक आंदोलन…..अस्वर गुलामों के गलों में
लिख गया कमजोर जिस्म के पृष्ठों पर आज़ादी का उपन्यास

चला गया एक शख्स अपने हिस्सें की आजादी
हमारे हिस्सें में डालकर उस व्योम की ओर

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रचनाकार

Author

  • Bilal pathan

    परिचय :- अर्द्ध रेगिस्तानी जिले के बिलाल पठान का जन्म 18 मार्च 1985 में सीकर जिले के खीरवा गांव में हुआ ।वहीं पर उच्च प्राथमिक शिक्षा हुई उसके बाद उच्च शिक्षा लक्ष्मणगढ़ तहसील में हुई। पिताजी असलम पठान सातवीं पास और माताजी फातमा बानों शब्द रूप से निरक्षर हैं।कवि का प्रथम काव्य संग्रह 'अब पेड़ फल बेचेंगे' बोधि प्रकाशन से 2022 में आया है जिसको राजस्थान साहित्य अकादमी ने वर्ष 2023-2024 का "सुमनेश जोशी प्रथम कृति" पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है।मूल निवास=खीरवा,लक्ष्मणगढ़ सीकर सम्पर्क:- हाल निवास पता बिलाल पठान: उदयपुर

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