हे दीनबंधु(घनाक्षरी)

हे दीनबंधु कृपा सिंधु वीर बलदाऊ कै,
विनती हमारी प्रभु आप सुन लीजिए।
जगत के पाप हरो सबके संताप हरो,
आइए प्रभु जी फिर अवतार लीजिए।
गीता वाला ज्ञान दे के सबको सम्मान दे के,
जगत का सारे केशव कल्याण कीजिए।
करबद्ध तुमसे निवेदन है घनश्याम,
दुःखों की घड़ी में हमको उबार लीजिए।।

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रचनाकार

Author

  • बजरंगी लाल

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