गुमसुम उदास सी बैठी क्यों तुम गीत कोई तो सुनाओ ना
खिला के चारों ओर सुगंधित उपवन को महकाओ ना
ना हो जाए धुंधली ज्योति नैनो को दिखलाओ ना
कैसा तेरा रंग रूप अब तो मुझ को समझाओ ना
उद्देश्य तेरा आने का क्या है मुझको तो बतलाओ ना
भरा है राग द्वेष दिल में जो उसको तो सुलझाओ ना
कठिन सी लगती राह जगत की कुछ तो राह दिखाओ ना
कब तक प्यासा रहूं यहां पर अब तो प्यास बुझाओ ना
रहू उम्र भर जिसमें डूबा प्रेम वही दिखलाओ ना
उबड खाबड बहती हो तुम सागर में मिल जाओ ना
डूबा के भावो में ही सबके दिल में भाव जगाओ ना
मझधार पड़ी नौका मेरी अब तो उसे डुबाओ ना
स्वप्न देखता रहूं मै कब तक सत्य उसे कर जाओ ना
दिखला कर के सुखद नजारा दिल को अब तड़पाओ ना
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