हम से मुँह फेर कर

हम से मुँह फेर कर चाँदनी जा चुकी ।
जी रहे हैं मगर ज़िन्दगी जा चुकी ।

फूल सारे चमन के उसे दे दिए ।
इन हवाओं की भी ताज़गी जा चुकी ।

नक़्श पा बस कहारों के बाक़ी रहे ।
ख़ुशबुओं से भरी पालकी जा चुकी ।

दिल में ख़ामोशियों की कतारें लगीं ।
खिलखिलाती हुई हर ख़ुशी जा चुकी ।

हम थे पत्थर किनारे पे बैठे रहे ।
वक़्त की झिलमिलाती नदी जा चुकी ।

पर कटे पल जुदाई के टलते नहीं ।
तितलियों सी मिलन की घड़ी जा चुकी ।

जब से रुख़सत हुई है ग़ज़ल रूह की ।
सिर्फ़ अल्फ़ाज़ हैं शायरी जा चुकी ।

………………

ग़ज़ल-संग्रह- ” क्या मुश्किल है ” से …..

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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