हम दीन दुखियन के

हम दीन दुखियन के अब मैये करथिन उद्धार,
ओ हंसा रे तू ले आ मैया के हमरे दुआर।

न है कौनो पैसा कौड़ी न हीं है हमरा ज्ञान,
दर दर हम भटकल चलही औ सहही अपमान,
रोग बीमारी भी साथ न छोड़े रह ही बीमार,
हम दीन दुखियन के अब मैये करथिन उद्धार,
ओ हंसा रे तू ले आ मैया के हमरे दुआर।
ओ हंसा रे तू ले आ मैया के हमरे दुआर।

माया मोह के जाल में फँसल है संसार सब,
दिनोंदिन बढ़ल जा है धरती पर अंधकार अब।
ई दुनिया के फेरबदल में बदलल हमरो विचार,
हम दीन दुखियन के अब मैये करथिन उद्धार,
ओ हंसा रे तू ले आ मैया के हमरे दुआर।
ओ हंसा रे तू ले आ मैया के हमरे दुआर।

मैया हखिन ज्ञानदायिनी देथिन बुद्धि और ज्ञान,
मैया के आशीष मिलै त हो जैतै कल्याण।
सब के जिनगी दे हखिन जे हमरो देथिन सँवार।
हम दीन दुखियन के अब मैये करथिन उद्धार,
ओ हंसा रे तू ले आ मैया के हमरे दुआर।
ओ हंसा रे तू ले आ मैया के हमरे दुआर।

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रचनाकार

Author

  • अमित राज

    पता: ग्राम- लोदीपुर, पोस्ट+थाना+जिला- नालन्दा, बिहार-803111 Copyright@अमित राज/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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