सनम तन्हाई में हम बस तेरा ही नाम लेते हैं
तेरी खातिर ही सर अपने सभी इल्जाम लेते हैं
किसी के काम आ कर हम भुला देते हैं सब बातें
कभी अहसान कर के हम नहीं इन्आम लेते हैं
किसी के काम आ जाना इबादत है खुदा की ही
यहाँ कुछ ऐसे भी बन्दे हैं इसका दाम लेते हैं
नहीं सज धज के तुम निकला करो ऐ जान गलियों में
कई मदहोश हो कर के जिगर को थाम लेते हैं
जो दौलत के सहारे चाहते दुनिया झुका देना
नहीं हम ऐसे लोगों से कोई इकराम लेते है
जो करते इश्क़ हैं दुनिया में हमने देखा है अक्सर
हमेशा ही मुहब्बत से वो सारे काम लेते हैं
सुनो वो ही सफल होते है जो कुछ करने से पहले
बढ़े बूढ़ों से अपने *राज* आ अहकाम लेते हैं
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