हंस वाहिनी,मां सरस्वती,ज्ञान का भण्डार दे दो,
शील वाणी में सदा हो,काव्य का संसार दे दो।
प्रेम सबको दें सदा हम, प्रेम की आकांक्षा है,
प्रेम हो सबके लिए बस, प्रेम का आधार दे दो।
चाहतें मेरी नहीं हैं,ज्ञान गीता का मिले,
चाहतें मेरी यही बस,कृष्न सा इक यार दे दो।
भाव ईर्ष्या और नफरत,के सदा मां दूर करके,
भव्य भारत भूमि को मां,ज्ञान का आगार दे दो।
नमन है सौ बार मेरा, मां तुम्हारे चरण में बस,
मम हृदय में शारदे मां, प्यार ही बस प्यार दे दो।।
देखे जाने की संख्या : 332