सुख – सुविधा

सुख – सुविधा

भाग रहे सुविधा के पीछे

पाना चाहते सुख को।

दोनों को एक मान

बढ़ाते अपने दुःख को।

सुविधा से आराम मिलेगा

सुख से तुमको शांति

दोनों को पाने की ललक

देती तुमको अशांति।

चैन नहीं इक पल को होगा

सुविधा ही सुविधा होगी

ताजमहल बनवा लोगे पर

क्या उसमें मुमताज़ होगी ?

सुविधा है भूखी पैसे की

सुख तो केवल चाहता प्रीति

लाख दुखों में उफ न करता

करता है वो बड़ा आनंदित।

लक्ष्मी है सुविधा की माता

संतोषी सुख की जननी है

लक्ष्मी का स्वभाव चंचल है

संतोषी रहती स्थिर है।

क्या करोगें उन पैसों का

जो न सुख दे पायेगा

कैसे करोगें तुम आराम

जब चैन ही नहीं आयेगा।

सुख के लिए छोड़ना होगा

सुविधा का मोह तुम्हें

और पाने की कामना

छीन लेगी सुख भी तुमसे।

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रचनाकार

Author

  • पूनम गुप्ता

    कोलकाता, पश्चिम बंगाल Copyright@पूनम गुप्ता/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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