सहरिन से पुरवा बही (अवधी रचना -दोहा )

सहरिन से पुरवा बही

पहुंची हमरे गांव

बिसरे राम जोहार अब

टोकैं लय लय नाव ,

सीतलता जल से गयी

बानिस् गयी मिठास

कुंवक् जगति से गयि

उजरि पुजनी दुबिया घास,

कौआ उड़ा बंडेर से

अबहीं लउटा नाय

होइगा सौदा प्रेम कै ,

अंखियौ फरकत नाय ,

न बाबा के कांध पर

नाती होत सवार

न आजी के खूंट मा

रहिगा बंधा परिवार ,

अब ढेबरी का बारि कै

के जोरत है हाथ

ढेबरी से तव आज कल

कोठरी है करखात ,

लयिगै पुरवा छोरि कै

चना,चबैना,भार

दूध दहिव अस काल भा

अहिरिन बनी सोनार !!

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रचनाकार

Author

  • संजय श्रीवास्तव अवधी

    प्रसिद्ध नाम-संजय अवधी, पिता-दिनेश चन्द्र श्रीवास्तव, लेखन विधा- गीत और कविता, प्रथम काव्य प्रस्तुति- ऑल इंडिया रेडियो, गीतकार के रूप में उपलब्धि- विश्व स्तरीय म्यूजिक कंपनी टी सीरीज के लिए गीत लेखन, प्रारंभिक लेखन- श्री महेश्वरी सेवक मासिक पत्रिका, प्रतिष्ठित समाचार-पत्रदैनिक जागरण से. विशेष उपलब्धि- रजत जयंती सम्मान अवध भारती सम्मान तथा अवधी तुलसी सम्मान 2021 अवध भारती संस्थान द्वारा प्राप्त एवं अन्य संस्थानों द्वारा सम्मानित. आने वाली प्रथम अवधी पुस्तक- 'भोली चिरैया' उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा. संस्थापक- अवध सीरीज अवधी लोककला विस्तार मंच लल्लू पुरवा,इटरौर. निर्माता निर्देशक- अवध सीरीज. उद्देश्य- विलुप्त होती अवधी संस्कृति, अवधी लोककला विरासत को ग्रामीण आयोजन के माध्यम से आगे बढ़ाना. पता-लल्लू पुरवा, इटरौर, मनकापुर, गोंडा,Copyright@संजय श्रीवास्तव अवधी/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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