बिछड़ के दूर तुमसे मैं कभी जो जाऊंगा
करूंगा याद तुमको और याद आऊंगा
ओठ खामोश ही रह जाएंगे भले लेकिन
बनके धड़कन सदा ही दिल में गुनगुनाऊंगा
एक एक बात मेरी याद जब भी आएगी
भाव में डूब कर के पलक को भिगाऊंगा
तन की ये दूरी भले तुमसे बन गई होगी
मगर मैं मन से तेरे पास में ही आऊंगा
अपनी दुनिया में मुझको आज तो शामिल कर लो
बन के जीवन तेरे जीवन को भी महकाऊंगा
झूमकर छाएगा सावन कभी जो आंखों में
भाव में डूब करके अश्रू को बहाऊंगा
कभी ना छाएगा अंधेरा तेरे जीवन में
सदा ही प्रेम का एक दीप मै जलाऊंगा
मैं जानता हूं कटीली है आज की दुनिया
उन्हीं कांटो के बीच गुल नया खिलाऊंगा
जिंदगी होती सदा से ही खेल कुदरत की
सदा रहा न कोई कैसे मै रह पाऊंगा
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