शिव की महिमा
शिव की महिमा
बर्फीली चोटियों पर विराजमान,
कैलाश है उनका निवास।
तीन नेत्रों में ज्योत जलती,
हर युग में जिनका है वास।
शिव की जटाओं में बसती गंगा महान।
नागराज वासुकि गले में होते है शोभित,
त्रिशूल धारण किए, तांडव है शिव का नृत्य।
समस्त लोगों में गूँजती है उनके डमरू की गूंज।
विनाशक भी और सृष्टि करता भी है मेरे शिव।
उनकी महिमा का सभी करते है गुणगान।
समुद्र मंथन से निकले विश को पीकर,
कंठ मे धारण, करके नीलकंठ कहलाए।
ध्यान में रहते हर समय शिव।
शिव ही भक्ति, शिव ही पूजा।
शिव के सिवा न कोई दूजा।
शिवरात्रि है शिव का त्योहार,
भक्त करते है शिव का गान,
सावन का महिना है शिव का,
जाते सभी है शिवालय।
जल चढ़ते, बेलपत्र और धतूरा भी,
खुश हो जाते मेरे शिव।
शिव की कृपा है सबपे रहती,
ऐसे है मेरे शिव।
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