वो यकता है मगर लगता कई है।
हुनर उसमें ये देखो वाकई है।।
रकीबे बज़्म में क्या आप दिखे,
दिले नादान को फुर्सत हुई है।।
बहार सामने से ही गई है।।
हाथ में फूल लेकर चलता है,
इक छुरी जेब में रखता नई है।।
कलम को देखो मेरे पर लगे हैं,
लबों से उसने तो जबसे छुई है।।
रौशनी जिन्दगी में कहां शेष,
ये जो तूफां दीये का मुद्दई है।।
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