वो बचपन वो माँ का प्यार
वो बचपन और माँ का प्यार,
बाबुल का आँगन और वो दुलार।
पापा से पैसे की ज़िद करना,
माँ का हर बात पर समझाना।
स्कूल जाते समय तैयार करना,
टिफ़िन बनाकर बस्ते मे भरना।
वो सब याद आता है माँ आज भी,
आ जाती है यादें तेरी रोज़ माँ।
लेकिन तुम नहीं क्यों नहीं आती।
जब थक जाती हूँ काम करते करते,
तुम्हारी बहुत याद आती है माँ।
तुम्हारा बचपन में मेरी छोटी बनाना,
सुंदर-सुंदर कपड़े खरीद कर लाना।
सब बहुत याद आता है माँ,
वैसे तो फोन पर हो जाती है।
ढेरों बातें दिन भर में तुमसे,
लेकिन पास होती हो तो
अच्छा लगता है बहुत मुझे।
मिल जाते है हजारों दुनिया में
बस माँ जैसा कोई नहीं मिलता।
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