विधि का विधान
विधि का विधान भी कैसा है,
सबको सबकुछ नहीं मिलता।
किसी को मिलता है सागर तो,
किसी को एक बूंद भी नहीं मिलता।
कोई पढ़ लिख कुछ बन जाता है,
तो किसी को गुरु नहीं मिलता।
कोई भोजन को फेके बाहर,
तो किसी को खाना नहीं मिलता।
क्यों इतना है अंतर सबमे,
इसमे किसी गलती है।
छोड़ जाता है कोई जल्दी,
किसी को काल नहीं पुछती है।
खुद के कर्म को अच्छा रखना,
किस्मत भी बादल जाएगी।
गर मिला है दुखो का सागर,
जल्द ही सुख भी आएगी।
विधान का विधान तो देखो।
कोई 10-10 बच्चो से खोले,
किसी के घर एक भी औलाद नहीं।
कोई महलों में रहता है।
किसी के घर का पता नहीं।
विधि का विधान भी कैसा है,
सबको सब नहीं मिलता है।
फिर भी सब कर्म में लगे रहे।
सबको कुछ कुछ मिलता है।
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