पतझड़ सा आगन था मेरा
आज खुशी की छाया है
आज सुनहरे से जीवन मे
मौसम बसंत का आया है
खेतों में लहराए बाली
पुष्पों की कलियां खिली हुई
सूने सूने सपनों में भी
आज मधुरिमा भरी हुई
कल कल नदियों का प्रवाह
सबके मन को बेकल करती
आज खुशी के आने का
संदेश हृदय में है भरती
फूलों का हार मिले ना मिले
बाहों का हार सदा होगा
छुईमुई के पुष्पों में भी
अब मकरंद भरा होगा
पीली पीली सरसों फूली
हर ओर खुशी ही छाई है
नागफनी की क्यारी में भी
आज कली मुस्काई है
जंगल भी सबके मंगल का
गीत यहां पर गाए हैं
पा करके बसंती हवा को
आज बहुत इतराए हैं
आज ज्ञान की देवी का
अवतरण दिवस जो आया है
बुध भाव धीमान हुए सब
ऋतु बसंत का आया है
देखे जाने की संख्या : 393