शत्रु को मार के सीमा पर,खुद के भी होश खोया होगा ।
वतन की मिट्टी चूम के सैनिक,मृत्यु की गोद में सोया होगा ।।
पिता का दुलार याद आया होगा
नैन छलक पड़े होंगे जब,
सुत का ख्याल आया होगा,
देश प्रेम में त्याग दिए,उसने ह्रदय के जज्बात सभी,
जब देश पे खतरा मंडराया,तो सैनिक आगे आया होगा।।
राखी की डोरी देखी तो,बचपन याद आया होगा,
बहना के संग हंसी ठिठोली ने,उसको बहुत रुलाया होगा,
अब इंतजार करेगी बहना,पर भैय्या अब न आयेगा,
भैया तो अब घर बहना,तिरंगा ओढ़ के आयेगा,
अब न मिलेगी कलाई तुमको,वो गहरी नींद सो जायेगा,
उसके बलिदान को देख कर,हर एक ह्रदय रोया होगा।।
जब वतन की मिट्टी चूम के सैनिक,मृत्यु की गोद में सोया होगा ।।
सिंदूर किसी का बिखरा होगा,और बिंदी कहीं गिरी होगी,
उसके दिल से भी तो पूँछो,जिसके ये बिजली गिरी होगी,
वादा करके गए आने का,देखो अब साजन आए भी,
देख के मुंह पिया का,कैसे भला उसने फिर धीर धरी होगी,
गंगा यमुना सी बरसी आंखें,जिसने अरमानों को डुबोया होगा ।।
शत्रु को मार के सीमा पर,खुद के भी होश खोया होगा ।
जब वतन की मिट्टी चूम के,मृत्यु की गोद में सोया होगा ।।