लिखा जो एक साथ नाम रेत पर

लिखा जो एक साथ नाम रेत पर।
किसी लहर ने आन मिटाया होगा।।
तेरी गहरी सी इन आंखों में कोई गैर खूब नहाया होगा
बता मेरे बिन इनमें क्या कोई दूसरा डूबने आया होगा।।
मैंने जो दी थी चूड़ियां नाप फिट था उनका।
नई साजन का कंगन अब तो हाथ में फस कर आया होगा।। लिखा जो एक साथ नाम रेत पर
किसी लहर ने आन मिटाया होगा।।
वह पायल के घुंघरू मैंने जो कह कर दो बढ़वाए थे
नई सास ने उनमें से एक तो कम करवाया होगा
लिखा जो एक साथ नाम रेत पर
किसी लहर ने आन मिटाया होगा।।
पकड़ी होगी जब गठबंधन की चुनरी तुमने
याद मेरा रुमाल वह खुशबूदार तो आया होगा
लिखा जो एक साथ नाम रेत पर
किसी लहर ने आन मिटाया होगा।।
पता मुझे है अपनी कहानी अम्मा को भी मालूम थी
सच तुमने डर के मारे बाबूजी से छुपाया होगा
लिखा जो एक साथ नाम रेत पर
किसी लहर ने आन मिटाया होगा ।।
तुम्हें देख जो हम पत्थर दिल भी दरिया सा बह जाते थे वह नया पागल तुमने अपनी जुल्फों में कैसे भरमाया होगा लिखा जो एक साथ नाम रेत पर
किसी लहर ने आन मिटाया होगा ।।
चल बस अब यह सब सुनकर रो मत देना
लिखते लिखते सैलाब तो मेरी आंखों में भी आया होगा लिखा जो एक साथ नाम रेत पर
किसी लहर ने आन मिटाया होगा ।।

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रचनाकार

Author

  • नरेंद्र शास्त्री

    पिता - श्री नरेश कुमार, पता-ग्राम धीरपुर, डाक खाना- खानपुर कोलिया , तहसील-थानेसर, जिला -कुरुक्षेत्र, pin-136131, राज्य-हरियाणा, जन्म तिथि 05,04,1986, शिक्षा - विशारद,शास्त्री M A ( हिंदी)M.ed, व्यवसाय-शिक्षक. प्रकाशन-2 कविताएं k b writer की मधुर बेला पुस्तक में, लेखन के क्षेत्र में सम्मान - राजभाषा सम्मान 2020, साहित्य सागर सम्मान 2022,Copyright@नरेंद्र शास्त्री / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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