राम आयेंगे(एकांकी)

राम आयेंगे(एकांकी)

पात्र-1.मां

      2. बेटा

 
(घर का दृश्य है। समान बिखरा पड़ा है।एक महिला अपने घर में झाडू लगा रही है )
 
मां – ( झुंझलाते हुए) जब से स्कूलों में जाड़े की छुट्टी हुई है बच्चों ने तो घर में नाक में दम कर रखा है। पूरा घर पर उठा रखा है।घर का सारा सामान इधर से उधर बिखेर रखा है। मैं दिन भर सफाई करते करते परेशान हूं।
 
          (  झाडू लगाकर सब समान संभाल कर रखती है)
      ( बेटे दीपू का प्रवेश । उसका हाथ ,पैर और कपड़े मिट्टी से सने हुए हैं)
 
दीपू- ( पुकारता हुआ आता है) मां….. मां
 
      ( मां दीपू को देखकर)
 
मां – हे राम….. दीपू तूने अपने हाथ पैर और कपड़ों का क्या हाल बना रखा है। ये तू मिट्टी में लौटकर कहां से आया है? हाथ पैर और कपड़ों पर इतनी मिट्टी कहां  से लगा लाया। अभी मैं तुझे इस जाड़े में ठंडे पानी से नहलाती हूं।
 
    (  मां दीपू को पकड़ती है)
 
दीपू – नहीं मां मुझे ठंडे पानी से मत नहलाना।
 
मां- ( नाराज होकर कान पकड़ती है)तो सच सच बता तू ये मिट्टी में गंदा होकर कहां से आया है।
 
दीपू – मां मैं आपको ऐसे ही नहीं बताऊगा।
 
मां – (  कान और कसकर उमेठती है )अच्छा तो गलती करेगा और बताएगा भी नहीं।
 
दीपू -( दर्द से चीखता है ) मां मेरा कान छोड़ो प्लीज ,बहुत दर्द हो रहा है।
 
मां – चल तेरे कान छोड़ देती हूं। जल्दी बता तू कहां से गंदा होकर आया है।
दीपू – मां यह जानने के लिए आपको मेरे संग चलना होगा।
 
मां – अब मैं कैसे चलूं तुम्हारे संग, अभी घर में खाना बनाना है।
दीपू- अच्छा तुम आंखे बन्द करो मैं कुछ लेकर आता हूं
    ( दीपू दोनों हाथों से मां की आंखे बन्द करता है।)
 
मां – जल्दी आना नहीं तो मैं अपनी आंखे खोल दूंगी।
दीपू – नहीं मां तुम ऐसा मत करना, मैं अभी गया और अभी आया।
 
           ( दीपू बाहर चला जाता है)
 
मां- ना जाने बेटा दीपू क्या सरप्राईज देना चाहता है। ( पुकारकर )जल्दी आओ दीपू नहीं तो मैं अपनी आंखे खोल दूंगा।
 
दीपू – ( बाहर से)नहीं मां ऐसा मत करना मैं आ रहा हूं।
      ( दीपू का प्रवेश। उसके हाथों में मिट्टी का छोटा सा मंदिर है वह मां के सामने लाता है)
 
दीपू – मां आंखे खोलो
 
    ( मां आंखे खोलती है)
 
दीपू -मां यह छोटा सा राम मंदिर मैंने स्वयं मिट्टी से बनाया है मां राम मेरे घर भी आएंगे ना।
 
मां- ( भावुक हो जाती है और अपने बेटे को गले लगा लेती है)हां बेटा ,राम हमारे घर भी आएंगे।
 
( नेपथ्य से गीत बजता है – मेरे झोपड़ी के भाग्य आज खुल जायेंगे… राम आयेंगे)
 
         लेखक  – शरद कुमार वर्मा
                      शिक्षक, रेलवे हायर सेकेंड्री स्कूल
                      चारबाग, लखनऊ
                      मो.नं 9838214110
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3 Comments

  • ARVIND KUMAR DUBEY January 10, 2024

    I READ THIS LAGHU NATIKA

    I AM VERY HAPPY.

  • ARVIND KUMAR DUBEY January 10, 2024

    I READ THIS AKANKI (LAGHU NATIKA )

    I AM VERY HAPPY.

    • शरद कुमार वर्मा January 12, 2024

      Thanks

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