मेरी हिन्दी

शब्द है कितना प्यारा हिंदी
देश है हिन्द भाषा मेरी हिंदी
लेखन मेरी हिंदी पाठन मेरी हिंदी
कहे कवि रहन सहन चलन मेरी हिंदी

कहे हिंदी यहाँ जब मैं जन्मी
खुश हुए ऋषि मुनि
पिता मेरी अम्मी
जाने किसके कंठ से
निकला वाणी हिंदी
उस दिन से नाम मेरी पर गई हिंदी
कहे कवि समाज मेरी हिंदी
रीति रिवाज मेरी हिंदी

आज हिंदी सुबह से रो रही है
रो रो कर कुछ कह रही है
दुसरों को अपनाकर तुने
हमको अब क्यूँ छोड़ रहे हो,,?
लगाया गले से एक दिन तुने
आज क्यूँ गले छुड़ा रहे हो
रोओगे एक दिन तुम और दुनियाँ
जैसे आज मुझे रुला रहे हो
कहे कवि पानी पसीना नीड़ मेरी हिंदी

जिसने तुमसे सिखा
संस्कृति और भाषा
आज वही तुम्हें सिखा रहे हैं
तु भी कितना मुर्ख है देखो
छोड़कर अपनी
संस्कृति और भाषा
दुसरों की रीति
संस्कृति अपना रहे हो
बोल रहे हो आज
अब तुम इंग्लिश
और झूठ का
हिंदी दिवस मना रहे हो
कहे कवि तेरी जीवन का
यही सच है मेरी हिंदी

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1 Comment

  • सुधीर भगत January 10, 2023

    बहुत बहुत आभार

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रचनाकार

Author

  • सुधीर सौरभ (भगत जी कलम वाले)

    नाम-सुधीर सौरभ, उपनाम-भगत जी कलम वाले, शिवहर, बिहार, Copyright@सुधीर सौरभ (भगत जी कलम वाले)/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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