मेरी तनहाई का सहारा है
ये नदी का जो इक किनारा है
मन करे जब भी लौट आना तुम
दिल मेरा आज भी तुम्हारा है
मेरी आंखो ने, मेरी सासों ने
हर घड़ी तुमको ही पुकारा है
वास्ते तेरे तोड़ कर लाऊं
आसमां मे जो इक सितारा है
‘मन्तशा’ तो हमेशा कहती है
जो हमारा है वो तुम्हारा है
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