मेरी गजलों में तेरे गुनाहों का हिसाब होगा।
दर्द मेरे जख्मों का होगा तेरा अल्फाज होगा।।
तेरी बेवफाई पर कई सवाल उठेंगे ।
भरी महफिल में मैं तुझे दोषी बनाऊंगा।।
न तेरे पास फिर इसका कोई जवाब होगा।
मेरी गजलों में तेरे गुनाहों का हिसाब होगा।।
यह बेरुखी यह अकड़पन सब धरी रह जाएंगी ।
बस याद मेरी तुझे रात भर सताएगी ।।
अकेले में मेरा तकिया भी न तेरा हमराज होगा।
मेरी गजलों में तेरे गुनाहों का हिसाब होगा।।
हम तो नजाकत और सब्र के सागर में डूबे हैं।
बता तूने कब मनाया है जब भी हम रूठे हैं ।।
मरते दम तक भी तुझसे मनाए जाने का ख्वाब होगा।
मेरी गजलों में तेरे गुनाहों का हिसाब होगा।।
बस और ज्यादा जख्मों को कुरेद कर क्या कहूं।
अब कलम श्याही के तौर पर मांगती है लहू ।।
जाने से पहले तेरी यादों की ओढ़नी मेरा लिबाज होगा।
मेरी नजरों में तेरे गुनाहों का हिसाब होगा।।
देखे जाने की संख्या : 213