बना लो राह खुद अपनी,
मंजिलें दिख हीं जाएगी ।
यदि दृढ़ हो इच्छाशक्ति,
भले हीं लाख ओले अड़े होंगे,
विघ्नबाधाओं के दल खड़े होंगे।
ठोकरें खा खा के गिर भी जाओगे,
डरायेगी निराशा डर भी जाओगे।
अटल हो यदि विश्वास तेरा,
तो गिर के भी संभल जाओगे।
थाम लो संकल्प की डोरी,
रोशनी खुद हीं मिल जाएगी ।।
बना लो राह खुद अपनी,
मंजिलें दिख हीं जाएगी ।।
खुद के बनाए राह पर जो चलते हैं,
तूफानों से कभी ना वो डरते हैं।
हो गिरिराज या बन राज पथ में,
चीर के सीना निकल हीं वे जाते हैं।
पनपने ना दोगे निराशा को मन में,
कली आशा की खिल हीं जाएगी।।
बना लो राह खुद अपनी।
मंजिलें मिल हीं जाएगी।।
मिलेगी जब मंजिलें तुम्हारी,
कांटे भी फूल बन जाएंगे।
कल तक जो करते थे निंदा,
गले वो भी लगाने आएंगे।
दासी बनके खुशियां गीत गाएगी,
मिटेगा अंधेरा रोशनी फैल जाएगी।।
बना लो राह खुद अपनी,
मंजिलें मिल हीं जाएगी।
यदि दृढ़ हो इच्छाशक्ति,
मुश्किलें मिट हीं जाएगी।।