बेटियां
बेटियां, चंचल, कोमल, प्यारी सी,
घर के आंगन को मेहकाती, फुलवारी सी।
चहकती रहती है घर में दिन भर,
गौरैया जैसी प्यारी सी।
मत छीनो इनसे इनका बचपन,
कर लेने दो इनको मनमानी भी।
गर मिल जाए अच्छा ससुराल तो ठीक है,
नहीं मिला तो नही रह पाएगी, खुशहाली भी।
छोटी छोटी ख्वाहिश होती है इनकी,
कर दो ना पूरी, नही मांगती ये तुमसे सोना चांदी भी।
हार जाती है बेटी अपनों से ही लड़ते लड़ते,
छोड़ देती है फिर वो ये दुनिया सारी भी।
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