बेटियां

देखो नित उड़ान अब,भरती है बेटियां,

कहां किसी के रोके, रुकती है बेटियां ।

अब तो अम्बर भी छोटा, लगने लगा है,

कुछ इस तरह परवाज,करती है बेटियां।।

यूं भारत का नाम रोशन,करती है बेटियां

अब बन कर चिराग भी,जलती है बेटियां।

भाग्यशाली लोगों को,मिलते है अगर बेटे,

तो सौभाग्यशाली को,मिलती है बेटियां ।।

सायना और सिंधु भी,बन जाती है बेटियां,

विश्व पटल पे देश का मान,बढ़ाती है बेटियां ।

कभी किरण बेदी,तो कभी मेरी कॉम बनकर,

देखो नए कीर्तिमान,लिख जाती है बेटियां ।।

हम नही किसी से कम है,ये बताती है बेटियां,

अब कोई मुश्किल से,नही घबराती है बेटियां।

अब अपनी राह खुद ही, बनाती है बेटियां,

अब जंग में हथियार भी, उठाती है बेटियां ।।

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रचनाकार

Author

  • अनूप अंबर

    नाम : अनूप अंबर जन्म तिथि:01जनवरी 1991 पिता का नाम:राजेश कुमार पता: फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेशइनके नौ साझा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं, पच्चीस अर्थलोगी प्रकाशित हो चुकी है, विभिन्न मंचों से 150 से अधिक सम्मान पत्र प्राप्त है, इनकी विभिन्न रचनाएं पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है,ये कई साहित्य पटलों पर सक्रिय है ।। Copyright@अनूप अंबर / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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