लगा कि बचपन बीत गवा।
कुछ करै के ख्वाइश हमरो रहिस,
हम डिग्री कॉलेज आय गवा।।
BA मा नाम लिखाय लेहे,
फिर सीना चौड़ा करे रहे।
पहले दिन ही इक कन्या से बात भइल,
देखतै देखत बवाल भवा….
दिन ब दिन हम लड़त रहे,
कबहूं कबहूं साथे हम पढत रहे।
लड़त रहे हां पढ़त रहे,
ना जाने कैसे बदनाम भवा…
हम अपने मस्ती मा रहत रहे,
BA के साथे उर्दू पढ़त रहे।
एक दिन बारिश खेल बिगाड़ दिहिस,
फिर अंजाने दरवाजे पै ठाड़ भवा
देख के वही लड़की का, दिमाग खराब भवा…
जइसन ठाड़ भवा दरवाजे
ऊं लड़की आय गइल।
भइल अजूबा कि ,
छोड़ लड़ाई ऊ बात करिस।
बाते बाते मा पहली बार नैना चार भवा….
देखे जाने की संख्या : 407