है प्रकृति आवरण जिंदगी की यहां
बात सच है इसे भूलो मत तुम कभी
इस प्रकृति से ही सबका है जीवन बचा
भूल कर भी इसे छेड़ो मत तुम कभी
सारा जीवन धधकता ही रह जाएगा
गर प्रकृति रूठ जाएगी तुमसे कहीं
तेरी सांसे ये बसती प्रकृति में सदा
सांसो की डोरी ना टूट जाए कहीं
इस प्रकृति को बना दे तू उपवन सदा
ध्यान रखो ना ये सूख जाए कहीं
इस प्रकृति पर ही तेरा है जीवन टिका
आओ वृक्षों को हम सब लगाएं अभी
आज ऐसे मिलाए प्रकृति से कदम
इसका बिगड़े ना संतुलन फिर कभी
ये वही वृक्ष हैजिनकी शाखाओं पर
कोयले गीत हमको सुनाती कभी
कितने पशु पक्षी का है बसेरा यहां
काट जंगल को वीरान ना बनाओ कभी
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