कहते कहते न जाने कि किस भाव में
डूब कर मेरी अखियां बरसने लगी
धीरे-धीरे चढ़ी थी नजर में ही वो
इक बयक आज दिल से उतरने लगी
पहले दिन जब वो मुझको मिली थी यहां
उड़ान आसमा तक वो भरने लगी
ले लिया मुझकोअपनी वो आगोश में
मौन हो ओठ कंपन सी करने लगी
रात की शम्मा जलती रही रात भर
गम भरा दिल अंधेरा ही करने लगी
कोई समझा नहीं इसके रंग रूप को
रोज ही रंग अपना बदलने लगी
आज क्या हो गया कुछ पता ना चला
अपनी बातों से ही वो मुकरने लगी
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