नाचे दुनिया बावरी , समय बजाये बीन ।
बूढ़े घर में क़ैद हैं , बच्चे हुए मशीन ।
आंखें तेरी श्यामला , ज्यों काजल की रेख ।
घटा घिरी आकाश में , छत पर तुमको देख ।
सब मन की कारीगरी , सारा मन का खेल ।
लिपट रही है जिस्म से , अंगूरों की बेल ।
नई पुरानी ज़िंदगी , नये पुराने लोग ।
नई पुरानी चाहतें , नये पुराने भोग ।
फीकी फीकी जिंदगी , फीका मन का साज़ ।
सर पर मंडराने लगा , रोज़ मौत का बाज़ ।
ढूंढा करते प्रेम को , ढूंढा करते सोज़ ।
घूमा करते बेसबब , हम गलियों में रोज़ ।
धीरे धीरे तन हुआ , इक नाज़ुक सामान ।
या पर्वत के गांव में , दरका हुआ मकान ।
माथे पे सिंदूर है , भरी हुई है गोद ।
ऐसी शोभित नार ज्यों , बजता हुआ सरोद ।
रातें मिष्ठी हो गईं , दिन मीठे अमरूद ।
जबसे ख़ुद को कर लिया , अपने तक महदूद ।
तन पत्थर का गांव है , मन उड़ता सुर्खाब ।
भीतर है जो आत्मा , इक प्राचीन किताब ।
एक रोग है वासना , एक रोग संसार ।
अस्पताल मन प्राण में , आध्यात्म उपचार ।