नये साल काअभिनंदन

आओ हम अभिनंदन करते

उड़ रहे गुलाल का

आ रहे नये साल का।।

भ्रमर गुनगुनाते, खिलती हैं कलियाँ

महँ – महँ महँकते, चौराहे औ गलियां।

चम-चम चमकते तारे, मनाते रँगरलियाँ

देवांगनायें करे पुष्प वर्षा, भर-भर के डालियाँ।।

प्रफुल्लित दिशायें धरा व गगन

आयी है बाढ़ खुशहाल का

आ रहे नये साल का।।

पिछला सोंचकर, दिल दहल जाता है

अपनों का खोना, बहुत खल जाता है।

कोरोना कहर याद कर, मन पिघल जाता है

सूनी-सूनी सड़कों पे, सारा दिन ढल जाता है।।

था शहरों से पलायन

पीछे पड़े काल का

आ रहे नये साल का।।

आते 2023 में, सारा जग खुशहाल हो

लहरे परचम हिंद का, जन-जन मालामाल हो।

गरीबी मिटे देश से, ना कोई भी कंगाल हो

श्री रहें पास में, भले ही फैला जंजाल हो।।

बिराजें मन में राम जी

दर्शन करें हनुमंत लाल का

आ रहे नये साल का।।

Facebook
WhatsApp
Twitter
LinkedIn
Pinterest

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

रचनाकार

Author

  • विनोद कुमार 'कवि रंग'

    नाम - विनोद कुमार उपनाम - कविरंग पिता - श्री वशिष्ठ माता - श्रीमती सावित्री जन्म तिथि - 15 /03 /1973 ग्राम - पर्रोई पो0-पेड़ारी बुजुर्ग जनपद - सिद्धार्थनगर (उ0 प्र0) लेखन - कविता, निबंध, कहानी प्रकाशित - समाचार पत्रों मे (यू0 एस0 ए0के हम हिंदुस्तानी, विजय दर्पण टाइम्स मेरठ, घूँघट की बगावत, गोरखपुर, हरियाणा टाइम्स हरियाणा तमाम पेपरों मे) Copyright@विनोद कुमार 'कवि रंग' / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

Total View
error: Content is protected !!