दिसंबर जा रहा है मुझको,फिर से जार जार करके ।
तेरी यादों को मेरे दिल में,फिर से तार तार करके ।।
बिछड़े हुए तो तुमसे,एक अरसा गुजर गया है ।
अब जा रहा दिसंबर,मुझे खुद से बेजार करके ।।
मुहब्बत क्या होती है,ये जान गए हम भी ।
दुश्मन खुद के बन बैठे,तुमसे प्यार करके ।।
अब सर्द हवाएं मेरे, दिल को दुखा रही है ।
कीमत है क्या चुकाई,तेरा इंतजार करके ।।
अश्कों के दरिया में,हम तो डूब ही गए है ।
अच्छा सिला मिला है,तुम पर ऐतवार करके।।
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