जमी पर चांद उतरेगा फलक से तारे तोडेगे
बनाया झील सा बिस्तर जमाने प्यार के थे ओ
खूबसूरत अंकुरित था बीज दिल में जो पला
प्यार में जो दिल बिछाया थे जमाने प्यार के
रात दिन ऑखो में हरदम ख्वाब ही पलते रहे
ख्वाब जो टूटे नहीं वे थे जमाने प्यार के
जब निकलते साइकिल से चैन उसकी तब चढ़ी
थे गुजरते वे जहां से ओ थे जमाने प्यार के
भाव में ही डूब कर जब गुनगुनाता हूं कभी
याद आ जाता मुझे क्या थे जमाने प्यार के
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