एक तेरे सिवा कोई भी,हमारा नहीं है,
हमने ऐसे तो किसी को,पुकारा नहीं है ।।
ये इश्क भी तो है एक,दरिया के जैसे,
इसमें दिखता कोई,अब किनारा नहीं है ।।
तेरी सूरत इस तरह से,बस गई मेरे मन में,
हमने किसी और को,फिर निहारा नहीं है ।।
तेरे साथ उम्र गुजर जाए,तो बहुत अच्छा है,
तेरे सिवा कोई और,मुझको प्यारा नहीं है ।।
तेरी वफा की कसमें,मैं खुद उठा सकता हूं,
तुमसे हसीं जहां में,कोई नजारा नहीं है ।।
हम डूबते जा रहे है,तेरे नैनो की झील में,
इससे निकलना मुझको,अब गवारा नहीं है ।।
तुमसे ही रोशन है,ये मेरे इश्क का जहां,
तेरे बिन कोई मेरा,अब सहारा नहीं है ।।
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