तेरे सिवा

एक तेरे सिवा कोई भी,हमारा नहीं है,

हमने ऐसे तो किसी को,पुकारा नहीं है ।।

ये इश्क भी तो है एक,दरिया के जैसे,

इसमें दिखता कोई,अब किनारा नहीं है ।।

तेरी सूरत इस तरह से,बस गई मेरे मन में,

हमने किसी और को,फिर निहारा नहीं है ।।

तेरे साथ उम्र गुजर जाए,तो बहुत अच्छा है,

तेरे सिवा कोई और,मुझको प्यारा नहीं है ।।

तेरी वफा की कसमें,मैं खुद उठा सकता हूं,

तुमसे हसीं जहां में,कोई नजारा नहीं है ।।

हम डूबते जा रहे है,तेरे नैनो की झील में,

इससे निकलना मुझको,अब गवारा नहीं है ।।

तुमसे ही रोशन है,ये मेरे इश्क का जहां,

तेरे बिन कोई मेरा,अब सहारा नहीं है ।।

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रचनाकार

Author

  • अनूप अंबर

    नाम : अनूप अंबर जन्म तिथि:01जनवरी 1991 पिता का नाम:राजेश कुमार पता: फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेशइनके नौ साझा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं, पच्चीस अर्थलोगी प्रकाशित हो चुकी है, विभिन्न मंचों से 150 से अधिक सम्मान पत्र प्राप्त है, इनकी विभिन्न रचनाएं पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है,ये कई साहित्य पटलों पर सक्रिय है ।। Copyright@अनूप अंबर / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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