कभी उठती थी ओ पलके
,कभी ओ झुक भी जाती थी
करूं मैं याद जब उनको,
मुझे तड़पा भी जाती थी
कभी सोचू जो ओ बातें
दिलो मे आह उठती है
ये दिल होता मेरा भावुक
अश्रु की धार बहती है
नहीं मुझको मिलेगी तू
ये बातें जानता हूं मैं
मगर दिल मेरा ऐसा है
भुला तुझको ना पाता हू
गई थी छोड़ मुझको जब
साथ तेरा ये छूटा था
सदा ही याद कर तुझको
मै अंदर से ही टूटा था
मिला सारा जहां मुझको
मुझे तू ही न मिल पाई
भरी जो भावना दिल में
निकल आंखों मे भर आई
कमी कोई नहीं मुझको
कमी तेरी यहां पर है
बसकरके तेरी यादे
मेरे दिल में अभी तक है
दिलों की बात अपनी मै
यहां किसको सुनाऊंगा
जो बातें तुझसे की थी वो
किसी से कह न पाऊंगा
तू मेरे दिल की रौनक थी
तू ही हमराज मेरा था
तुम्ही से राग मेरी थी
तुम्ही से साज मेरा था
मिला करके मुझे ईश्वर
अलग क्यों तुझसे कर डाला
जन्म भर का जो रिश्ता था
अभी ही तोड़ क्यों डाला
किया तूने जो वादा था
उसे तुझको निभाना था
छोड़कर क्यों गए मुझको
साथ अपना निभाना था
बरस बीते कई पर याद
तेरी अब भी ताजा है
यहा किसको दिखाऊं मै
जो अन्दर की निराशा है
गूजे भाव दिल मे जब
दिमागो में तू छाती है
मै रो लेता हूं अंदर ही
जो तेरी याद आती है