तुम्हारे दिल में रहा करूंगा

जो राह तेरे ही दर पे जाए उसी पे हरदम कदम रखूंगा
सदा ही जीवन बना के निर्मल पुष्प कमल सा खिला करूगा
कभी चुभूगा न शूल बनकर सदा राह का फूल बनूंगा
बैठ के दिल में सदा तुम्हारे दिलों की धड़कन सुना करूंगा
भाव उजागर हो जाए मन का सदा ही ऐसा गीत लिखूंगा
वफा मोहब्बत के गीत गाकर खुशी दिलों में सदा भरूगा
भले दुखों में ही बीते जीवन पराए धन को कभी न लूंगा
कभी गमों का दौर जो आया मान बंदगी ईश सहूंगा
कदम तो रखो कभी दिलो में तुम्हारा बनकर सदा रहूंगा
कभी न निकलूंगा दिल से तेरे दिलों में जीवित सदा रहूंगा
दिलों की रंगत बढ़ेगी मेरी फूल के जैसा खिला करूंगा
जमी नहीं पर तुम्हारे दिल में मकान बना कर रहा करूंगा

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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