तुम्हारी राह में फूलों की पंखुरियाँ बिछा दे बस ।
ख़ुदा तुमको ज़माने भर की ख़ुशियों से नवाज़े बस ।
महक उठ्ठे तुम्हारी दीद के फूलों से दिल मेरा ।
ख़ुदा अबके बहारों में मुझे तुमसे मिला दे बस ।
कभी बेचैनियों की राह भी गुलशन तलक पहुँचे ।
कभी कोई हमारी रूह से काँटे निकाले बस ।
मैं बिखरा हूँ गुज़िशता वक़्त की सुनसान राहों में ।
कोई हमदर्द जा कर के वहाँ मुझको समेटे बस ।
मैं वो पत्थर हूँ जिसमें दिल धड़कता है ,ज़ुबाँ भी है ।
कोई आ कर मुझे अपनी मुहब्बत से तराशे बस ।
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