तनहा तनहा सफ़र लगने लगा है।
दिले नादान क्या कहने लगा है।।
गये क्या बज़्म से वो रूठ करके,
इक दरिया अश्क का बहने लगा है।।।
किसी के नाम से डरने लगा है।।
दर-ओ-दीवार सूनी लग रही है,
वो वीराने में अब रहने लगा है।।
ये कंगन ढीले ढीले हो गये है,
असर कुछ उधर भी पड़ने लगा है।।
जरा सी बेरूखी का इतना असर,
रहा बीमार जो मरने लगा है।।
किसी ने वफा की है ‘शेष’ शायद,
हवाओं में दिया जलने लगा है।।
देखे जाने की संख्या : 362