ढूंढ रहा था मन जिसे,होकर बड़ा उदास,
नहीं दिखाई दे रही,लिया आज अवकाश।
लिया आज अवकाश,हमेशा मुझे सताए,
सबसे करती बात, नहीं यह मुझको भाए।
बना बहाने रोज, झूठ हर बार कहा था ।
बजरंगी तो जिसे,प्यार से ढूंढ रहा था।।
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ढूंढ रहा था मन जिसे,होकर बड़ा उदास,
नहीं दिखाई दे रही,लिया आज अवकाश।
लिया आज अवकाश,हमेशा मुझे सताए,
सबसे करती बात, नहीं यह मुझको भाए।
बना बहाने रोज, झूठ हर बार कहा था ।
बजरंगी तो जिसे,प्यार से ढूंढ रहा था।।
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