हमने तो उसे निहारा रात दिन
जिंदगी में कभी जो मिल ना सका
मिल गया था जिंदगी में जो मुझे
पाके उसको कभी खुश हो ना सका
जिंदगी भर मैंने तराशा था जिसे
ऐसा पत्थर था हीरा वो बन ना सका
कमियां दूजे की सदा देखा मगर
कमी खुद में भी है, भान हो ना सका
धन कमाने में सारा जीवन खो दिया
लक्ष्य जीवन का कभी मुझे मिल ना सका
बात तो अधिकार की करता रहा
ज्ञान कर्मों का कभी हो ना सका
जब नशा दिल में अहम का छा सा गया
जिंदगी में कोई अपना हो ना सका
सामने मेरे खड़ा जब वो मिला
देख कर उसको मैं चुप रह ना सका
बात में मिस्री जो घोली प्यार की
तब गिला दिल में कोई रह ना सका
“कर्म ही जीवन का रस” जब से सुना
इच्छा फल की फिर कभी कर ना सका
जब से पाया है जगत का प्रेम मैंने
दुनिया का कोई गम भी ना मिल सका
मिल गई दुनिया की मुझको हर खुशी
कोई गम मुझको विचलित कर ना सका
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