मैंने हंसकर के गुजारी है जिंदगी अपनी
भले ही जिंदगी कांटों से होके गुजरी हो
सदा ही ठोकरो से सीखा संभलना मैंने
भले ही जिंदगी मे ठोकरे ही खाई हो
सदा ही देखा जिसने खुद में खामियां कितनी
उसी की जिंदगी तो आज यहां सुधरी है
हुआ ना विचलित देख करके जो दुख को कभी
बता कि दुख की पीर उनके दिल पे कभी गुजरी हो
अहम भरा हुआ कोई सुखद परिवार बता
बिना विश्वास के रिश्ते भी जहां पलते हो
डूबकर भाव में ही प्यार किया जाता है
चेहरे भले ही यहां रोज सब बदलते हो
गलत को गलत कभी उसने ना महसूस किया
जिसकी ये जिंदगी अहंकार में ही गुजरी हो
कभी आगे तो कभी पीछे जिंदगी चलती
बता किसी की जिंदगी हमेशा एक जैसी गुजरी हो
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